जब भगवान श्री कष्ण अपनी लीला सवंरण कर गोलोक जाने लगे तो उद्यव जी ने बडे तर भाव से पूछा कि आपके जाने पर कलियुग में धर्म कहां रहेगा? तो भगवान ने आश्वासन दिया था कि मैं स्वयं श्रीमद् भागवत में रहूंगा।
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मेरी खामोशी जितना कह सकती थी, / कह गई / तुम्हारे शब्द मेरी खामोशी को सोखते रहे पर सीले नहीं हुए ” विपिन की काव् य-संवेदना वाकई प्रेम की एक वृहत् तर भाव की ओर संकेत करती है और गहरा असर छोड़ जाती हैं।